छत्तीसगढ़/कोरबा :- नए वर्ष 2023 का आगाज हो चुका है लोग नए वर्ष 2023 को मनाने के लिए फैमिली के साथ विभिन्न पर्यटन स्थलों सहित अपनी मन पसंदीदा जगहों में जाने के लिए मन बना चुके हैं लेकिन अगर आप कोरबा जिले के सतरेंगा पर्यटन स्थल में नए वर्ष का आनंद लेने फैमिली के साथ जाना चाह रहे हैं तो एक बार सतरेंगा पर्यटन स्थल से कुछ दूरी के पहले ही एक अम्मा की रसोई नामक रेस्टोरेंट का निर्माण हो रहा है जहां आपको टोटल प्राकृतिक चीजों से बनी सामग्रियां देखने को मिलेंगी इस रेस्टोरेंट में खाना खाने के से लेकर चाय तक मिट्टी के बर्तनों में बनाई जाती है यहां प्राकृतिक चीजों से बने कार्टेज भी बनाए गए हैं जो आपको बेहद पसंद आएंगे, जहां कोई आर्टिफिशियल उपकरणों का उपयोग नहीं किया गया है इस जगह में आपको खाने के लिए जंगल के वादियों के बीच पेड़ों के पत्तों से बने पत्तल दोने में खाना दिया जाता है व पत्तल के कप में चाय दी जाती है, इस रेस्टोरेंट के संचालक आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले शत्रुघ्न सिंह कंवर हैं m.a. पीजीडीसीए की डिग्री के साथ क्लास के टॉपर छात्र के रूप में रहे हैं,
उन्होंने प्री मेन्स निकालने के बाद उन्होंने अपने दोस्तों के एक नसीहत के कारण इस रेस्टोरेंट की बुनियाद रखी रेस्टोरेंट्स संचालक शत्रुघ्न कंंवर का मानना है कि माता पिता ही भगवान के दूसरे रूप होते हैं अगर माता पिता नहीं खुश हैं तो हम किसी भी मुकाम में पहुंच जाएं सब व्यर्थ है इसी सोच को लेकर उन्होंने इस रेस्टोरेंट का नाम अम्मा की रसोई के नाम से रखा,
कहते हैं हुनरमंद को पैसे की आवश्यकता नहीं होती है पैसा स्वयं हुनरमंद के पास चल कर आता है पढ़े-लिखे आदिवासी युवक शत्रुघ्न कंवर के जीवन के अनुभवों को माने तो सत्यता मनुष्य का अमोघ अस्त्र है और माता पिता इस अस्त्र के सूत्रधार परिस्थिति कैसी भी हो अगर आपके अंदर जज्बा और हुनर है कुछ करने की ललक है तो आप का गरीबी भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती है शत्रुघ्न कंवर बताते हैं कि मेरे पास पैसे नहीं है इसके कारण मैं सभी चीज प्राकृतिक संसाधनों से बनी चुनी जहां कम पैसों के अभाव में रेस्टोरेंट की बांस से बनी बाउंड्री का निर्माण स्वयं किया इसके साथ साथ बांस से बनी एक सेल्फी जोन दो मंजिला बनाया जहां लोग रात को रुक भी सकते हैं इसके साथ साथ पैसों के अभाव में मैंने कुर्सी टेबल की जगह में बांस से बने कुर्सी और टेबल का स्वयं निर्माण कर एक कार्टेज के रूप में परिवर्तित करते हुए निर्माण किया जो लोगों को बेहद पसंद आ रहा है,
सबसे बड़ी बात यह है कि शत्रुघ्न कंवर एक पढ़े-लिखे आदिवासी समाज के साथ-साथ एक भोले-भाले व्यक्तित्व के धनी हैं जो नशा पत्ती व मांस मछली आदि से दूर है उनके रेस्टोरेंट के बाहर नशा पत्ती प्रतिबंध का बोर्ड भी लगा हुआ है, शत्रुघ्न कंवर चिकन ना खाते हुए भी बहुत ही अच्छा चिकन मिट्टी के बर्तन में बनाते हैं जो लोगों को बहुत ही भा रहा है इस रेस्टोरेंट में कई छत्तीसगढ़ी फिल्म के गाने भी फिल्माए जा चुके हैं शत्रुघ्न कंवर का कहना है कि मैं डिप्टी कलेक्टर भी बन सकता था लेकिन अपने जमीन पर स्वरोजगार उत्पन्न कर और लोगों के जीवन को उज्जवल बनाते हुए माता पिता के कर्ज को चुकाना मेरा प्रथम कर्तव्य था शायद यही कारण है कि मैं अपने जन्म भूमि पर एक स्वरोजगार उत्पन्न कर अपने साथ-साथ लोगों को रोजगार देने की कोशिश कर रहा हूं अगर मुझे इस रोजगार में शासन से सहायता मिल जाती तो शायद मैं इस कार्य को अच्छी तरह कर सकता हूं, हालांकि मुझे पार्टनर शिप में सहयोग देने के लिए कई लोगों ने हाथ बढ़ाया है लेकिन मैं अपनी सोच को स्वयं विकसित करते हुए लोगों की सेवा करते हुए आगे बढ़ना चाहता हूं ।