छत्तीसगढ़/कोरबा :- कहते हैं गुनाह करने वाले से कम नहीं होता गुनाह होते हुए देखकर चुप रहने और अनदेखी करने वाला, आज बीते लगभग तीन वर्षों में कोरबा जिले में जिस प्रकार एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पावर प्लांटो से निकलने वाली राखड़ को जिले में जहां-तहां सरकारी जमीनों पर फेंक कर सूत्रों के मुताबिक रिकॉर्ड में हेरा फेरी करते हुए सरकारी जमीनों को निजी जमीन बताते हुए हथिया लिया गया है, और विभिन्न पार्टियों के स्थानीय नेता चुप्पी साधे रहे, आज शासन की योजनाओं को संचालित करने के लिए सरकारी जमीने मौके पर नहीं मिल पा रही हैं, वहीं जहां तहां फेंकी गई राख के बरसात में बहने से नदी नालों का पानी दूषित हो रहा है वही किसानों के खेतों में बहकर पहुंची राख उनके खेतों को बंजारा बना रही है जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पडने से इनकार नहीं किया जा सकता है, जिससे केंद्र और राज्य शासन की कई योजनाएं शासकीय कार्यों के संचालन के लिए मौके पर सरकारी जमीन न मिलने के कारण सरलता से लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, राखड़ के मामले को लेकर राष्ट्रीय पार्टियों के नेताओं की चुप्पी जनता को यह बताने के लिए काफी है कि कहीं ना कहीं इनकी मौन स्वीकृति इस मामले पर रही है, जहां प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता है वहीं विपक्ष में बीजेपी है इसके साथ-साथ आम आदमी पार्टी प्रदेश की सत्ता पाने ताने बाने बुन रही है, बावजूद इनके द्वारा जनहित के इस मामले पर पार्टियों के स्थानीय जनप्रतिनिधियों नेताओं व पदाधिकारी चुप्पी साधते हुए तमाशबीन बनकर तमाशा देखते रहे, जिसका खामियाजा आने वाले विधानसभा,लोकसभा व निकाय चुनाव में उनके प्रत्याशियों को उठाना पड़ सकता है, और इन पार्टियों के वोट बैंक पर भी असर पडने की संभावना जताई जा रही है जिसका फायदा स्थानीय पार्टियों और उनके प्रत्याशियों को मिल सकता है जरूरत है राखड़ के मामले की सच्चाई जनता तक स्थानीय पार्टियो को पहुंचाने की, इसके साथ-साथ राष्ट्रीय पार्टियों के स्थानीय पदाधिकारी को इस मामले को लेकर विशेष मंथन करने की भी जरूरत है ।