छत्तीसगढ़/कोरबा :- अदानी पॉवर लिमिटेड कोरबा के खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों और भू-विस्थापितों की उपेक्षा को लेकर विरोध तेज होता जा रहा है। रामपुर विधायक फूलसिंह राठिया ने कंपनी प्रबंधन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि 7 दिनों के भीतर समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों, यूनियनों और ग्रामीणों के साथ मिलकर संयंत्र के गेट पर ताला जड़ दिया जाएगा।
विधायक राठिया ने अदानी पॉवर के स्टेशन हेड को भेजे पत्र में अनेक गंभीर मुद्दे उठाए हैं। उन्होंने कहा कि संयंत्र की यूनिट 1 और 2 के लिए वर्ष 2004-05 में अधिग्रहित भूमि के बदले 330 भू-विस्थापितों को स्थाई रोजगार देने की सहमति बनी थी। किंतु आज 12 वर्षों बाद भी बालिक हो चुके पात्र विस्थापित युवाओं को गुमराह कर उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
यूनिट 3-6 के लिए अधिग्रहण, पर नहीं मिला रोजगार
विधायक ने यह भी बताया कि यूनिट 3, 4, 5, और 6 के लिए 2011-12 में भूमि अधिग्रहण हो चुका है, मगर आज तक न तो किसी को रोजगार मिला और न ही कोई मुआवजा या भत्ता। उन्होंने मांग की कि यूनिट 3 और 4 के संचालन से पूर्व त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित की जाए जिसमें भू-विस्थापितों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को शामिल किया जाए।
स्थानीय युवाओं को दरकिनार, बाहरी मजदूरों को तरजीह
राठिया ने आरोप लगाया कि अन्य राज्यों से 7-8 हजार मजदूरों को लाकर काम कराया जा रहा है, वह भी बिना चरित्र सत्यापन के। इससे क्षेत्र की सामाजिक सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। जबकि स्थानीय पढ़े-लिखे बेरोजगार युवा योग्यता के बावजूद रोजगार से वंचित हैं।
सीएसआर में लापरवाही, नहीं सुधरी बुनियादी सुविधाएं
अदानी पॉवर द्वारा प्रभावित गांवों में सीएसआर फंड का समुचित उपयोग नहीं किया जा रहा है। विधायक के अनुसार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, नाली, बिजली और जल संकट जैसी बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। बोरवेल और हैंडपंप सूख चुके हैं, और पीने योग्य पानी का संकट गंभीर होता जा रहा है।
वेतन और प्रोत्साहन में भेदभाव का आरोप
विधायक ने यह भी खुलासा किया कि अप्रैल 2025 में अदानी पॉवर के अधिकारियों और एक्सिक्यूटिव कर्मचारियों को वेतनवृद्धि के साथ प्रोत्साहन राशि दी गई, लेकिन भू-विस्थापित कर्मचारियों को केवल वेतन वृद्धि दी गई, प्रोत्साहन नहीं। यह स्पष्ट भेदभाव दर्शाता है।
ठेका कंपनियों में श्रमिकों का शोषण
राठिया ने यह भी कहा कि अदानी पॉवर की अधीनस्थ ठेका कंपनियों में श्रमिकों को न तो नियमानुसार वेतन दिया जा रहा है, न ही ओवरटाइम का भुगतान। 12-12 घंटे काम करवाया जा रहा है, जिससे मानसिक तनाव और दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।
अंतिम चेतावनी
“यदि सात दिनों के भीतर मांगों का निराकरण नहीं होता है तो हम आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। संयंत्र के गेट बंद कर विरोध दर्ज कराया जाएगा।”
— विधायक फूलसिंह राठिया