नेत्रदानियों के आंख कि सिर्फ निकाली जाएगी कॉर्निया, मेडिकल कॉलेज के डीन ने बताया कि कर ली गई है सारी तैयारी
छत्तीसगढ़/कोरबा :- नेत्रदान महादान इस नारे को यथार्थ में परिणित होते अब कोरबा में भी देखा जा सकेगा। भारत विकास परिषद के अथक प्रयास से स्थानीय प्रशासन और मेडिकल कॉलेज की टीम ने नेत्रदान की तैयारी पूर्ण कर ली है। अब नेत्रदान कर किसी नेत्रहीन को दृष्टि प्रदान की जा सकती है
विधाता की बनाई हुई इस खूबसूरत दुनिया को जो लोग नहीं देख पा रहे हैं ऐसे लोगों को दृष्टि का सौगात देने का भाव जिनके मन में है ऐसे लोगों के लिए कोरबा में भी व्यवस्था कर ली गई है। अब कोरबा में भी नेत्रदान करने वालों का मरणोंपरांत आंख से कॉर्निया निकालकर उसे किसी दृष्टिहीन में प्रत्यारोपित किया जाएगा
अखिल भारतीय स्तर पर 1963 से तमाम सेवा कार्यों को सर अंजाम देते आ रहे भारत विकास परिषद की कोरबा इकाई द्वारा 2 वर्ष पहले जो संकल्प लिया गया था वह यथार्थ में परिणित हो गया है। नेत्रहीन लोगों को अब दृष्टि प्रदान करने का भाव रखने वाले नेत्रदानियों के लिए खुशखबरी है कि अब कोरबा में भी नेत्रदान की सुविधा प्रारंभ हो गई है। भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में परिषद के नेत्रदान, देहदान प्रकल्प प्रभारी महेश गुप्ता ने बताया कि इस कार्य के लिए मुख्यमंत्री से लेकर कलेक्टर तक लगातार संपर्क का ही परिणाम है कि अब हम नेत्रदान करने और कराने की स्थिति में आ गए हैं
महेश गुप्ता ने बताया कि इस मिशन में मेडिकल कॉलेज कोरबा के डीन डॉ के के सहारे डॉ गोपाल कंवर और डॉक्टर रवि जाटवर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने बताया की एक व्यक्ति के देहदान से 20 लाख लोगों को जीवन मिलता है
भारत विकास परिषद कोरबा इकाई के अध्यक्ष कमलेश यादव ने वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय प्रदीप महतो द्वारा किए गए देहदान का उल्लेख करते हुए बताया की कोरबा में भी देहदान और नेत्रदान के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। उन्होंने बताया कि हम सब मिलकर कोरबा व प्रदेश के लिए कुछ और बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं
चिकित्सकों ने बताया की कोरबाका नाम भी अब उन शहरों में शुमार हो गया है जहां नेत्रदान और देहदान पर अमल करने की व्यवस्था है। मेडिकल कॉलेज कोरबा के डीन और अन्य विशेषज्ञों ने बताया की कॉर्निया निकालने के कुछ घंटे के भीतर ही मृत व्यक्ति की आंखें किसी और को दृष्टि प्रदान कर इस जगत को देखने लगेंगी
मेडिकल कॉलेज कोरबा के डीन डॉक्टर के के सहारे ने पत्रकारों से चर्चा में बताया कि भारत विकास परिषद के प्रयास से अब कोरबा में भी नेत्रदान की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। दानी की आंख से कॉर्निया निकालकर उसे जिस एमके मीडिया में रखकर सुरक्षित किया जाता है वह कोरबा को प्राप्त हो चुका है। कॉर्निया निकालने के पश्चात उसे तत्काल बिलासपुर स्थित सिम्स भेज कर वहां उसे किसी दृष्टिहीन को प्रत्यारोपित कर दिया जाएगा
डॉक्टर सहारे ने बताया कि कोरबा में भी नेत्र दान और देहदान करने वालो के परिजन उन लोगों को देख पाएंगे जिनके शरीर में उनके ही परिवार के किसी व्यक्ति का अंग प्रत्यारोपित किया गया है ।जिसके जरिए वे विधाता की इस खूबसूरत दुनिया का आनंद उठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि नेत्रदान और देहदान में परिजनों की स्वीकृति आवश्यक है।
इससे पूर्व नेत्र विशेषज्ञ और मेडिकल कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर मनी किरण कुजूर ने नेत्रदान की प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने भारत विकास परिषद द्वारा उपलब्ध कराया गया एक वीडियो दिखाकर पत्रकारों को बताया की कैसे सिर्फ चंद मिनट में ही नेत्र दानी की मौत के पश्चात आंखों की कॉर्निया निकाली जाती है।
डॉ कुजूर ने बताया की कॉर्निया निकालने के तत्काल बाद पहले से तैयार टीम उसे जरूरतमंद की आंखों में प्रत्यारोपित कर देती है ।
इस अवसर पर भारत विकास परिषद कोरबा इकाई के प्रथम अध्यक्ष रहे मुरलीधर मखीजा ने नेत्रदान और देहदान की घोषणा की। परिषद के वरिष्ठ सदस्य डी के कुदेशिया ने परिषद के स्थापना का उद्देश्य और अब तक के सफर के विषय में पत्रकारों को अवगत कराया। प्रेस क्लब के संरक्षक मनोज शर्मा और अध्यक्ष राजेंद्र जायसवाल ने भारत विकास परिषद के इस प्रयास को ऐतिहासिक बताते हुए कोरबा वासियों से आग्रह किया की सभी इस पुनीत कार्य में तन मन से परिषद के जरिए नेत्रहीनों को दृष्टि प्रदान करने में सहयोग करें
पत्रकार वार्ता में भारत विकास परिषद की प्रांतीय इकाई के महासचिव नरेश अग्रवाल कोरबा सचिव कन्हैयालाल सोनी कोषाध्यक्ष प्रेम रवि चंदानी पूर्व सचिव और भारत को जानो प्रतियोगिता के प्रांतीय प्रभारी विष्णु शंकर मिश्रा पूर्व प्रांतीय महासचिव कैलाश अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल ,तकनीकी सहयोगी अंशु अग्रवाल ,श्रीमती पद्मिनी साहू सहित भारत विकास परिषद के कई पदाधिकारी व सदस्य भी उपस्थित रहे