बैसाख माह में वनस्पति तेल का न करें सेवन, बैसाख माह में बेल का सेवन हितकारी- डॉ.नागेन्द्र शर्मा
छत्तीसगढ़/कोरबा :- हिंदी मासानुसार बैसाख माह का आरंभ 13 अप्रैल 2025 रविवार से हो गया है। जो 12 मई 2025 सोमवार तक रहेगा। आयुर्वेद अनुसार प्रत्येक माह में विशेष तरह के खान-पान का वर्णन किया गया है जिसे अपनाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं। इसी विषय पर छत्तीसगढ़ प्रांत के ख्यातिलब्ध आयुर्वेद चिकित्सक नाड़ी वैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया की भारतीय परंपरा में ऋतुचर्या यानी ऋतुनुसार आहार-विहार करने की परंपरा रही है। यह संस्कार हमें विरासत में मिला है। अभी बैसाख माह का आरम्भ 13 अप्रैल 2025 रविवार से हो गया है। जो 12 मई 2025 सोमवार तक रहेगा। इस अंतराल में हमें अपने आहार-विहार पर विशेष ध्यान देना चाहिये। बैसाख माह बसंत ऋतु का अंतिम महीना है। बैसाख माह में मौसम बसंत से ग्रीष्म की ओर बदलता है, इसलिए यह दोनों ऋतुओं का एक संक्रमणकालीन समय होता है। इसलिये इसमें तमाम तरह की संचारी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बैसाख में कफ और पित्त दोष के विकृत होने की संभावना अधिक होती है। बैसाख
माह में मौसम में बदलाव होता है, वसंत ऋतु अपने चरम पर होती है। बैसाख माह में वसंत ऋतु का अंत और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत हो जाती है। इस दौरान तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगता है, जिससे गर्मी का एहसास होने लगता है। जिससे वातावरण गर्म और शुष्क होने लगता है। बैसाख माह में ऋतु परिवर्तन का समय होने के कारण संक्रामक रोगों की संभावना भी बढ़ जाती है। और कमजोर पाचन शक्ति के कारण अपच, उल्टी, उदरशूल और डिहाइड्रेशन जैसी बीमारियाँ होने की संभावना भी अधिक रहती है। इसलिये विशेष रूप से हमें तैलीय, मसालेदार भारी भोजन, होटल के भोजन से परहेज करना चाहिये। गर्मी बढ़ने के कारण डिहाइड्रेशन की संभावना बढ़ जाती है, इसलिये पानी का उचित मात्रा मे सेवन करना चाहिये। बैसाख माह में हल्का, ताजा और आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिये साथ ही बासी भोजन से परहेज करना चाहिये। बैसाख माह में वनस्पति तेल का सेवन नहीं करना चाहिये। इसके सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। बैसाख माह में बेल का सेवन करना स्वास्थ्य की दृष्टि से हितकर है।
आहार-
क्या खाना चाहिये- बेल, अनाजों में जौ, सत्तू, दलिया, आटा, चांवल, मक्के की खीर, मोंठ, मूंग, चना, तुअर दाल, मौसमी फल जैसे- बेल, संतरा, रसीले फल तरबूज, खरबुज, आम, मौसंबी, सेव, नारियल आदि। सब्जियों में- लौकी, ककड़ी, कद्दू, हरा धनिया, तरोइ, करेला, जिमीकन्द, सहजन की फली, पुदीना, चौलाई आदि साथ ही मसालों में जीरा, सूखा धनिया, मीठा नीम, हल्दी, इलायची, पतली दालचीनी तथा सत्तू एवं रसदार फलों का सेवन करना चाहिये।
क्या नहीं खाना चाहिये- वनस्पति तेल, अनाज में बाजरा, पुराना गेंहू, उड़द दाल, मसूर, सब्जियों में मेथी, बैगन, मूली, फूल गोभी, पत्ता गोभी, बैंगन, अरबी, टमाटर साथ ही फलो में पपीता तथा ज्यादा तेल मिर्च मसाले वाले, देर से पचने वाले भारी भोजन एवं बासी भोजन का सेवन कम से कम ही करना चाहिए।
जीवनशैली-
क्या करें- प्रात: जल्दी उठना चाहिये। सुपाच्य ताजा भोजन करें। पानी ज्यादा पियें। सत्तू एवं रसदार फलों का सेवन करें। योग-प्राणायाम, ध्यान एवं यथाशक्ति शारीरिक व्यायाम करना चाहिये लेकिन अत्यधिक श्रम से बचें।
क्या न करें- प्रात:देर तक शयन करने से, मसालेदार, तैलीय,भारी भोजन करने से, यथाशक्ति श्रम और व्यायाम न करने से, तामसिक आहार के सेवन से दिन मे शयन करने से, रात्रि जागरण करने से बचाव करना चाहिये।