छत्तीसगढ़/कोरबा :- अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार फाउंडेशन ने दर्री बराज के सीमा अंतर्गत किए गए भूमि अतिक्रमण की शिकायत शासन से किया है। जिस पर छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा संबंधित जल संसाधन विभाग को कार्यवाही करने और शिकायत पर जांच करने का आदेश पत्र दिया है। वहीं सामान्य प्रशासन विभाग के अनुभाग अधिकारी ने फाउंडेशन को कार्यवाही से अवगत कराया है। जल्द ही शासन के आदेश पर संबंधित विभाग द्वारा मामले की जांच की जाएगी। विदित हो कि दर्री बराज से कोहड़िया मुख्य मार्ग के किनारे बड़े पैमाने पर भूमि अतिक्रमण करने की मंशा से मिट्टी और राखड पाट कर भूमि कब्जा किया जा रहा था। जिस पर शिकायत प्राप्त होने उपरांत जिलाधीश कोरबा के आदेश पर उक्त स्थल पर जल संसाधन विभाग का सूचना बोर्ड लगाया गया जिसके बाद कब्जा पर रोकथाम लगा। वहीं मेजर ध्यान चंद चौक के नजदीक स्थित चिल्ड्रन पार्क की सौंदर्यता को नष्ट करते हुए और निगम द्वारा वृक्षा रोपण से लगे बीस पच्चीस वर्ष पूर्व लगे घने इमारती पेड़ो की कटाई कर मिट्टी राखड़ पाट कर व्यावसायिक परिसर, होटल,और कॉम्प्लेक्श निर्माण किया गया है। जिसमें कब्जा धारी व्यावसायिक परिसर संचालक द्वारा उक्त भूमि को रूमगरा की भूमि जिसका खसरा नंबर 274 एवं 275 का बचत भूमि बताया गया है । जबकि किए गए पंजीयन में दर्शित चौहद्दी पर कही भी मुख्य मार्ग, चिल्ड्रन गार्डन, नजदीक स्थित मुख्य चौराहा, आदि का उल्लेख पटवारी प्रतिवेदन और पंजीयन में नहीं किया गया है। मिशल नक्शा का सूक्ष्म अवलोकन करने पर उक्त खसरा की भूमि अन्यत्र दिखाई दे रहा है। जिसकी पुष्टि जल संसाधन विभाग के अधिकारी भी कर रहे है। और जिस जगह पर भूमि कब्जा कर निर्माण किया गया है वह स्थान हसदेव नदी का प्राकृतिक बहाव क्षेत्र है। जो बराज निर्माण पश्चात परिवर्तित होकर बराज गेट की ओर से बहाव हुआ है। और आज उक्त स्थल डुबान क्षेत्र सीमा अंतर्गत है। ऐसे में मुख्य मार्ग, मुख्य नहर, और पीछे डुबान क्षेत्र में निगम मद से बने चिल्ड्रन गार्डन के मध्य भूमि को कूट रचना कर स्थापित किया जाना शासन को हानि पहुंचाने के साथ ही शासन मद से बनाए गए पर्यावरण की क्षति है। जिसकी उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठन कर मामले में ठोस कार्यवाही किया जाने से शासन को लाभ मिलेगा। अब देखना यह है कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार फाउंडेशन के शासन हित में किए गए शिकायत पर क्या , और कब तक कार्यवाही होती है।