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दीपका खदान में खुला खतरा:ग्रामीण बच्चे और युवकों का जोखिम भरा प्रवेश, प्रबंधन बना मूकदर्शक

बिना सुरक्षा घेरे के खुला खनन क्षेत्र, सुरक्षा मानकों की उड़ती धज्जियाँ, ब्लास्टिंग क्षेत्र में बेरोकटोक प्रवेश से कभी भी घट सकती है बड़ी घटना,ग्रामीण चिंतित

छत्तीसगढ़/कोरबा :- एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) के तहत संचालित दीपका खदान में प्रबंधन की ओर से सुरक्षा मानकों की गंभीर अनदेखी सामने आ रही है खुली खदान क्षेत्र के आस-पास बसे ग्राम अमगांव और मलगांव के युवक और बच्चे बेरोकटोक खनन क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं एक वीडियो ने ग्रामीणों में इस चिंता को और गहरा कर दिया है, जिसमें बच्चे और युवा खदान क्षेत्र के भीतर दौड़ते-भागते नजर आ रहे हैं ।

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स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, खनन के दौरान ब्लास्टिंग में उपयोग किए जाने वाले तारों को इकट्ठा करने के उद्देश्य से ग्रामीणों द्वारा खदान में प्रवेश किया जा रहा है इसके अलावा, कुछ लोग दैनिक जरूरत के लिए कोयला भी खदान क्षेत्र से बिन रहे हैं यह गतिविधियां न केवल खदान संचालन के लिए चुनौती उत्पन्न कर रही हैं, बल्कि स्वयं ग्रामीणों के लिए भी जानलेवा साबित हो सकती हैं ।

खनन कार्य में ब्लास्टिंग के बाद क्षेत्र में अवशिष्ट गैस, अस्थिर चट्टानें, तथा गड्ढों के रूप में कई खतरे विद्यमान रहते हैं ऐसे में बिना किसी सुरक्षा उपायों के खदान में प्रवेश करना किसी गंभीर हादसे का कारण बन सकता है जानकारों का कहना है कि यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है, जिसकी जिम्मेदारी सीधे तौर पर खदान प्रबंधन पर आएगी ।

गौरतलब है कि औद्योगिक सुरक्षा मानकों के तहत खनन क्षेत्रों के आसपास मजबूत फेंसिंग, चेतावनी बोर्ड, सुरक्षा कर्मियों की नियमित गश्त और स्थानीय समुदाय को जागरूक करने जैसे उपाय आवश्यक माने जाते हैं परंतु दीपका खदान में इन उपायों की अनुपस्थिति साफ देखी जा सकती है ।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार इस संबंध में ध्यानाकर्षण कराया है, लेकिन अब तक एसईसीएल प्रबंधन द्वारा इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है बच्चों और युवाओं का खदान क्षेत्र में इस प्रकार निर्बाध प्रवेश यह दर्शाता है कि सुरक्षा उपायों का पूरी तरह से अभाव है ।

प्रभावित ग्रामीणों का मानना है कि खदान प्रबंधन को तत्काल प्रभाव से खदान क्षेत्र की चारदीवारी को सुदृढ़ करना चाहिए, संवेदनशील क्षेत्रों में प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों की तैनाती करनी चाहिए और स्थानीय ग्रामीणों के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि वे खदान क्षेत्र में प्रवेश न करें साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि खनन क्षेत्र में उपयोग होने वाले सभी विस्फोटक सामग्री और उपकरणों का सुरक्षित निष्पादन हो ।

खनन क्षेत्र में सुरक्षा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि श्रमिकों, स्थानीय समुदाय और स्वयं खदान संचालन की निरंतरता के लिए अत्यंत आवश्यक है दीपका खदान में व्याप्त यह लापरवाही न केवल मानवीय जीवन को खतरे में डाल रही है, बल्कि एसईसीएल की साख पर भी सवाल खड़े कर रही है उसे तत्काल सुरक्षा व्यवस्था दुरूस्त करना चाहिए ।

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