छत्तीसगढ़/कोरबा :- कोरबा जिला ऊर्जा नगरी व औद्योगिक नगरी के साथ साथ आदिवासी बाहुल्य जिले के रूप में जाना जाता है जहां आदिवासियों के जीवन स्तर को उठाने केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा अनेक योजनाओं के माध्यम से प्रयासरत हैं वही उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा और रोजगार से जोड़ने अनेक शिक्षण संस्थाएं व औद्योगिक शिक्षण केंद्र की स्थापना की है जहां आदिवासी व आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार उपलब्ध कराया जा सके ।
इसी उद्देश्य को पूरा करने कोरबा जिले के स्याही मुड़ी स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकीकृत शैक्षणिक परिसर जिसे एजुकेशन हब के नाम से जाना जाता है की स्थापना की, जहां पर सीपेट (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी) और प्रयास आवासीय विद्यालय संचालित है, इस बिल्डिंग का निर्माण डीएमएफ फंड से 4 वर्ष पूर्व 120 करोड़ रुपए की लागत से किया गया था इस बिल्डिंग के एक हिस्से में सिपेट का संचालन किया जाता है जिसमें कमजोर गरीब तबके के विद्यार्थियों सहित औद्योगिक और कोयला खदान क्षेत्रों के प्रभावित बच्चों को औद्योगिक संस्थानों द्वारा स्वा रोजगार से जोड़ने उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सीपेट में प्रशिक्षण दिया जाता है, केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया के सपने को साकार करने के उद्देश्य एजुकेशन हब की इस बिल्डिंग में सिपेट का शुभारंभ किया गया था जहां केंद्र सरकार की मंशा अनुरूप प्लास्टिक इंडस्ट्रीज को बढ़ावा देने के उद्देश्य को पूरा करने प्लास्टिक से पर्यावरण को कैसे बचाया जाए प्लास्टिक रिसायकल और उनसे बनाए जाने वाले घरेलू प्लास्टिक के सामानों सहित ऑटोमोबाइल्स के क्षेत्र के सामानों सहित अनेक प्रकार के प्लास्टिक के समानो का प्रशिक्षण दिया जाता है ।
सिपेट के शुभारंभ के 4 साल बाद भी इलेक्ट्रिक कंट्रोल पैनल नहीं लगे, जान जोखिम में डालकर बच्चों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
सिपेट का शुभारंभ लगभग 4 वर्ष पूर्व हो चुका है लेकिन आज भी यहां बच्चों को प्रशिक्षण देने वाले भारी भरकम मशीनों को चलाने के लिए व्यवस्थित उपाय नहीं किए गए ऐसा नहीं है कि उपकरण मौजूद उपकरण तो मौजूद हैं लेकिन सिपेट के अधिकारियों को उपकरणों को लगाने वाला कोई नहीं मिल रहा, दरअसल बच्चों को प्रशिक्षण देने के लिए भारी भरकम मशीनों को चलाने के लिए बोर्ड से कांटी फंसा कर चलाना पड़ रहा है जिसके कारण बच्चों के साथ साथ प्रशिक्षण दे रहे शिक्षकों के जान को करंट का खतरा बना हुआ है वही व्यवस्थित मशीनों को करंट सप्लाई नहीं होने से मशीनों को नुकसान पहुंच रहा है ऐसा नहीं है कि इसके लिए इलेक्ट्रिक कंट्रोल पैनल की व्यवस्था नहीं की गई है इलेक्ट्रिक कंट्रोल पैनल दर्जनों की तादाद में प्रशिक्षण भवन में पड़े धूल खा रहे लेकिन सिपेट के अधिकारियों की लापरवाही और मनमानी पूर्ण कार्य शैली के कारण इन्हें अब तक लगाया नहीं जा सका है ।
भारी भरकम मशीनों के रखरखाव में कमी और बिजली की उचित और व्यवस्थित व्यवस्था नहीं होने के कारण मशीनें स्क्रैप में हो रही परिवर्तित
बच्चों को प्रशिक्षण देने के लिए सीपेट के प्रशिक्षण केंद्र में जो शासन और औद्योगिक संस्थाओं द्वारा भारी भरकम मशीनें प्रदान की गई है वह बिजली की उचित और व्यवस्थित व्यवस्था और रखरखाव में कमी के कारण स्क्रैप में परिवर्तित होती जा रही हैं बच्चों को प्लास्टिक उद्योग में उनका भविष्य गढ़ने सिपेट के अधिकारियों के अनदेखी और खानापूर्ति पूर्ण रवैये से जहां बच्चों के भविष्य और जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है वही शासन की योजना मेक इन इंडिया मे पानी फेरा जा रहा है तो वही शासन और औद्योगिक संस्थाओं के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है ।
प्रशिक्षण केंद्र के बाहर गंदगी का आलम
एजुकेशन हब कि इस बिल्डिंग में जहां सीटेट का प्रशिक्षण केंद्र बनाया गया है वहां गंदगी का आलम नजर आ रहा है तो वही घास फूस और बड़ी-बड़ी झाड़ियों के कारण बच्चों को इस बरसात में जीव जंतुओं से खतरा भी मंडरा रहा है ।
प्रशिक्षण केंद्र के शौचालयों में सफाई का अभाव
बिल्डिंग को हाई टेक्नोलॉजी से बनाने के साथ-साथ यहां बच्चों के सुविधा के लिए शौचालयों को बहुत अच्छे तरीके से बनाया गया है लेकिन बिना देखरेख और साफ सफाई सहित उचित व्यवस्था ना होने के कारण शौचालयों का उपयोग नहीं हो रहा है जिसे कारण वह खंडहर नुमा दिखते हैं साफ सफाई के अभाव में बच्चे बाथरूम जाने झाड़ियों का सहारा लेने पर मजबूर हैं या तो फिर प्रशिक्षण से हॉस्टल में जाकर नित्य क्रिया करने पर मजबूर हैं ।
प्रशिक्षण केंद्र के प्रथम तल के हाल मे धूल मिट्टी का अंबार
एक और शासन को कई योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जमीने और भवन नहीं मिल पा रहे हैं वहीं दूसरी ओर सिपेट के प्रशिक्षण केंद्र के प्रथम तल का भारी भरकम भवन हाल पूरा खाली है जहां धूल डस्ट का अंबार लगा हुआ है, उपयोग में नहीं लिए जाने के कारण यह वीरान पड़ा हुआ है इस भवन के हाल को हाई टेक्नोलॉजी से बनाया गया है जहां लाखों रुपए खर्च कर पंखे इत्यादि लगाए गए लेकिन बिल्डिंग में अब भी स्विच बोर्ड आदि नहीं लगाया गया है और ना ही इस बिल्डिंग के हाल का उपयोग हो पा रहा है इसके साथ साथ ही भारी भरकम एजुकेशन हब के कई बिल्डिंगों उपयोग और रखरखाव नहीं हो पा रहा है जिसके कारण यह जर्जर भी हो रही है जरूरत है शासन-प्रशासन को इनके उपयोगिता को निश्चित करने की और इनकी देखरेख करने वाले अधिकारियों पर लगाम लगाने की ।