छत्तीसगढ़/कोरबा :- हसदेव अरण्य बचाने लगातार स्थानीय आदिवासियों द्वारा जंगल में तंबू तान कर तीर धनुष भाला लेकर जंगल की रखवाली कर रहे हैं हसदेव अरण्य क्षेत्र के परसा कोल ब्लॉक के सेकंड फेस के लिए पेड़ों की कटाई की जानी है जिसका विरोध स्थानीय आदिवासियों द्वारा किया जा रहा है स्थानीय आदिवासियों का कहना है कि 2 मार्च 2022 से लगातार ग्रामीण जंगल को कटने से बचाने जंगल की रखवाली कर रहे हैं परसा कोल ब्लॉक के लिए फर्जी ग्रामसभा के माध्यम से प्रस्ताव पारित कराया गया था जिसमें लाखों पेड़ काटे गए थे लेकिन अब फेस टू के लिए फिर से पेड़ों की कटाई कराई जा रही है जिससे पर्यावरण असंतुलित होगा हमारी जल, जंगल, जमीन को नुकसान पहुंचेगा जिसे बचाने हम और पेड़ नहीं करने देंगे ग्रामीणों ने बताया की इस क्षेत्र में 23 कोल माइंस खोलने सरकार की योजना है जिससे हजारों एकड़ मे लगे लाखों पेड़ों की बलि दी जाएगी जिससे पर्यावरण तो असंतुलित व प्रदूषित होगा ही साथ ही में जल, जंगल, जमीन को भी नुकसान पहुंचेगा और जो पूर्वजों से आदिवासी जंगली जड़ी-बूटी व जंगली फल फूल खेती किसानी कर जीवन यापन कर रहे थे उनको जमीनों और जंगल से बेदखल होना पड़ेगा इन कोल माइंसो के खुलने से सैकड़ों गांव प्रभावित होंगे जिसमें से चोटिया से लगाकर फतेहपुर, तारा, वाशिन, चचेरी, पोरोगिया, सीतापुर, हरिहरपुर, केते, परसा, बर्रा आदि, ग्रामीणों ने बताया कि 2 दिनो से पुलिस फोर्स का इलाके में मूवमेंट रहा लगभग 400 पुलिस बल बुलाया गया था और रात के अंधेरे में बल का प्रयोग करते हुए पेड़ काटवाने की योजना थी लेकिन ग्रामीणों के भारी विरोध के चलते पुलिस बल को वापस होना पड़ा, पूर्व में भी हसदेव अरण्य को लेकर पूरे छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाजो ने नक्सल क्षेत्र व राजधानी रायपुर से लेकर परसा कोल ब्लॉक और यहां विकास के नाम पर काटे जा रहे पेड़ उजाडे जा रहे जंगलों को बचाने को लेकर विरोध जता चुके हैं दिल्ली तक हसदेव अरण्य की गूंज गूंजी थी जिसके बाद कोल माइंस का कार्य बंद है लेकिन अब पुनः सरकार के द्वारा विकास के नाम पर बलपूर्वक जंगल उजाड़ने की तैयारी की जा रही है जिसका स्थानीय आदिवासी लगातार विरोध करते हुए जंगल में रात दिन रुक कर जंगल की रखवाली कर रहे हैं .
टुकड़े टुकड़े में की जा रही कार्यवाही 800 पेड़ बताकर 80 हजार पेड़ काटने की योजना, कथनी करनी में अंतर
ग्रामीण स्थानीय आदिवासियों का कहना है कि इनके कथनी करनी में बहुत बड़ा अंतर है इन्होंने पहले फर्जी ग्राम सभा के माध्यम से योजना बनाई अब 8,000 पेड़ काटने की योजना बता कर 80,000 पेड़ काटने की योजना बनाई है जिससे जंगल तो उजड़ेगा ही वहीं स्थानीय आदिवासियों को अपनी जमीन से भी हाथ धोना पड़ेगा पर्यावरण असंतुलन के साथ जल भी प्रदूषित होगा पिछली बार 28 अप्रैल को इन्होंने 3 घंटे में लगभग 300 पेड़ की कटिंग रात के अंधेरे में किया था .
जंगल कटने से हसदेव नदी के अस्तित्व पर खतरा, जांजगीर जिले तक के गांव आ सकते हैं सूखे की चपेट में
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि हसदेव अरण्य के जंगलों को जिस प्रकार विकास के नाम पर उजाड़ने की तैयारी की जा रही है उससे पर्यावरण तो असंतुलित होगा ही साथ में हसदेव नदी के सूखने का खतरा मंडरा रहा है वर्षा ऋतु में इन्हीं जंगलों से निकले पानी से हसदेव नदी का जल स्तर बढ़ता है जो जांजगीर जिले तक के किसानों के जमीनों को सिंचित करती है वही इस हसदेव नदी के जल से उद्योगों को जल की पूर्ति की जाती है जिससे सरकार को उद्योगों से जल कर के रूप में करोड़ों का फायदा भी होता है और सरकार का खजाना भरता है लेकिन हसदेव के जंगल उजड़ने से पर्यावरण के साथ-साथ कई नुकसान झेलने पड़ सकते हैं.
हाथी सहित जंगली जानवरों का रहवास हसदेव अरण्य क्षेत्र
आपको बता दें कि हसदेव अरण्य क्षेत्र हाथियों सहित अनेक जंगली जानवरों का रहवास क्षेत्र है. इसके साथ-साथ यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य इलाका माना जाता है. जहां हजारों एकड़ में घने जंगल हैं. इन जंगलों के उजड़ने से जहां जंगली जानवरों के रहवास छिन जाएंगे वही जंगली जानवरों और मानव द्वंद की भी संभावना है जिससे जंगली जानवरों सहित स्थानीय लोगों के जनजीवन पर असर पड़ेगा जंगली जानवर जंगल कटने के बाद गांव और शहर की ओर रुख कर सकते हैं जिससे जनहानि और जंगली जानवरों को नुकसान पहुंच सकता है और भविष्य में जंगली जानवरों की संख्या में भारी कमी आ सकती है.
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना का प्रतिनिधिमंडल ग्रामीणों से मिलकर जाना हाल, केंद्र सरकार व राज्य सरकार पर साधा निशाना
हसदेव अरण्य बचाने बैठे आदिवासी स्थानीय ग्रामीणों से छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना का एक प्रतिनिधि मंडल मुलाकात कर उनका हालचाल जाना स्थिति का जायजा लिया, प्रदेश संगठन मंत्री दिलीप मिरी ने केंद्र व राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हरदेव अरण्य ही नहीं जहां-जहां छत्तीसगढ़ में कोयला है उसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के जंगलों को उजाड़ कर दूसरे राज्यों में कोयला भेजने की तैयारी कर रही है यह दोनों सरकारें पूंजी पतियों की सरकार हैं दोनों सरकारें मिलकर छत्तीसगढ़ उजाड़ने का काम कर रही है, कुल 23 कोल माइंस प्रस्तावित है पूर्व में हसदेव अरण्य मामले पर मंत्री टी एस सिंह देव के दखल के बाद छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने कहा था कि अगर टीएस सिंह देव नहीं चाहते कि पेड़ कटे तो पेड़ तो क्या पेड़ की एक डगाल भी नहीं काटी जाएगी लेकिन जिस प्रकार अब यहां पुलिस बल बुलाया गया था इससे अंदेशा है कि ग्रामीणों के विरोध के बाद भी आने वाले समय में दबाव पूर्वक पेड़ों को काटकर जंगल उजाला जाएगा, हम सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा कर रहे हैं आने वाले समय में यह छत्तीसगढ़ को बर्बाद करने का बूता कर रहे हैं.